•घर के आस पास रखें साफ-सफाई का ध्यान
•मलेरिया और जेई/एईएस के प्रचार के लिए जागरूकता रथ को किया रवाना
- जागरूकता से मलेरिया का बचाव संभव :- वीभीडीसीओ
मधुबनी जिले में मलेरिया की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन व जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता। हर वर्ष विश्व मलेरिया दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक थीम जारी किया जाता है। इस वर्ष इसकी थीम “टाइम टू डिलिवरी जीरो मलेरियाः इनवेस्ट, इनोवेट, इंप्लीमेंट” रखा गया है. कार्यक्रम को लेकर मंगलवार को जिले के एएनएम सभागार में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ कार्यशाला का आयोजन किया गया। साथ ही मलेरिया और जेई/एईएस की रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार के लिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. झा ने बताया कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है।
4 तरह के होते हैं मलेरिया के परजीवी :
भारत में संक्रमण के 65% प्लाजमोडियम वाइवैक्स तथा 35 प्रतिशत प्लाजमोडियम फैल्सीपैरम के कारण होता है। छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में इस रोग के प्रति प्रतिकार क्षमता अत्यंत कम होती है। इसके कारण माता मृत्यु, मृत शिशुओं का जन्म, नवजात शिशुओं का वजन अत्यधिक कम होना एक प्रमुख समस्या है। इसे रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व मलेरिया की जांच अनिवार्य की गई है। मलेरिया के परजीवी चार तरह के होते हैं, जिसमें प्लाज्मोडियम वीवेक्स एवं प्लाज्मोडियम फालसिफेरम टाइप के परजीवी मधुबनी जिले में पाए जाते हैं। यह बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटती है, तो खून के साथ प्लाज्मोडियम उसके शरीर में आ जाता और वह संक्रमित हो जाता है। वहीं पुनः जब किसी स्वस्थ मनुष्य को वह काटती है, तो वह भी मलेरिया से संक्रमित हो जाता है। इस तरह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में इसका प्रसार होता है।
मलेरिया रोग के लक्षण :
- ठंड लगकर बुखार का आना और बुखार के ठीक होने पर पसीने का आना
- थकान, सिरदर्द
- मांसपेशियों के दर्द, पेट की परेशानी
- उल्टियां होना
- बेहोशी आना
- एनीमिया, त्वचा की पीली रंग की विकृति
गर्भवती महिलाएं करें बचाव :
वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी राकेश कुमार रंजन ने कहा गर्भवती महिलाओं के लिए मलेरिया से बचना बहुत आवश्यक है, क्योंकि यह बीमारी उनके गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकती है। गर्भवती महिला को सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा अगर सर्दी कंपन के साथ बुखार एवम तेज बुखार या सर दर्द, बुखार उतरते समय बदन का पसीना आना आदि लक्षण हो, तो तुरंत स्वास्थ्य कर्मी या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
क्या है बचाव :
- अपने घर के आस.पास पानी न जमा होने दें
- पानी के बर्तन टंकियों को हमेशा ढककर रखें
- पशु और पक्षियों के बर्तन को सप्ताह में एक बार सुखा कर इस्तेमाल करें
- ठहरे हुए पानी जैसे तालाब कुआं आदि में गंबूशिया मछली डालें, यह मछली मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लारवा को खा जाती है।
वहीं, डॉ. झा ने बताया मलेरिया के लक्षण मादा मच्छरों के काटने के छह से आठ दिन बाद शुरू हो सकते हैं।
इस मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा,भीडीसीओ, राकेश कुमार रंजन और अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।