- बारह दिवसीय आवासीय संस्कृत भाषाबोधन वर्ग समारोह पूर्वक हुआ सम्पन्न
- 150 प्रतिभागियों ने संस्कृत बोलने का लिया प्रशिक्षण
- भारत के 40 प्रान्तों में संस्कृतभारती के कार्य
- ग्रीष्मावकाश के समय इस वर्ष पूरे देश में 60 आवासीय वर्ग का हुआ आयोजन
सामाजिक समरसता के निर्माण, ऊंच-नीच भेद का निवारण तथा जाति भेदभाव को दूर करने के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन करना चाहिए। यह भाषा संस्कार का माध्यम है। मातृभाषा के समान संस्कृत भाषा को समादर भाव से अध्ययन अध्यापन करने से यह भाषा स्वयं एवं समाज को आह्लादित करती है। ये बातें संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संघटन मंत्री दिनेश कामत ने सम्पूर्ति कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा।
संस्कृत भारती बिहार के प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. रामसेवक झा ने बताया कि मोतिहारी स्थिति पतौरा आश्रम में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित बारह दिवसीय आवासीय संस्कृत भाषाबोधन वर्ग को शनिवार की संध्या बतौर मुख्यातिथि दिनेश कामत ने अपने संबोधन में कहा कि प्रतिवर्ष ग्रीष्मावकाश के समय पूरे देश में संस्कृत भारती के द्वारा आवासीय भाषाबोधन वर्ग चलाया जाता है। जिसके तहत इस वर्ष कुल साठ आवासीय वर्ग का आयोजन किया गया। भारत के 612 जिलों में तथा विदेश के सताइस देशों में संस्कृत भारती के कार्यकर्ता सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
विशिष्टातिथि सह पतौरा आश्रम के स्वामी आत्मप्रकाशानंद ने जीवन में संस्कृत भाषा की महत्ता को रेखांकित करते हुए आध्यात्मिक शिक्षा पर बल दिया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. राम निरंजन पाण्डेय ने कहा कि यह आवासीय वर्ग अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्कृत सम्भाषण वर्ग की आवश्यकता एवं सामाजिकरण में इसकी उपयोगिता पर बल दिया।
वैदिक मंगलाचरण से शुरू सम्पूर्ति कार्यक्रम का वृत्त कथन बिहार के संगठन मंत्री श्रवण कुमार ने प्रस्तुत किया। आगत अतिथियों का स्वागत डॉ. श्याम कुमार झा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीष कुमार झा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विश्वेश वाग्मि ने किया। डॉ. विश्वजित् वर्मन द्वारा शान्तिमन्त्र से कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
सम्पूर्ति कार्यक्रम में प्रतिभागियों द्वारा संस्कृत भाषा में नाटक,काव्यावल्ली,गीत एवं संवाद प्रस्तुत किया गया।
समारोह में प्रान्त मंत्री डॉ. रमेश कुमार झा, प्रशिक्षण प्रमुख देवनिरंजन दीक्षित,गोपाल कुमार,दीपक कुमार,मनोज कुमार,राजकिशोर,गीता कुमारी सहित सभी प्रतिभागीगण उपस्थित