•कोरोना काल में नर्स माधुरी ने गर्भवती माताओं की सेवा कर पेश की मिसाल
•कोरोना संक्रमित की सेवा के साथ नर्स नीलम बढ़ाती रही हौसला
•नर्स अलका ने 9500 से अधिक लोगों का किया कोविड टीकाकरण
हर साल 12 मई को अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। आधुनिक नर्सिंग आंदोलन को जन्म देने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगिल की याद में यह दिवस मनाया जाता है। नर्स दिवस सबसे पहले 1965 में मनाया गया था, लेकिन 12 मई 1974 से यह हर साल मनाया जाने लगा। कोरोना की पहली से लेकर दूसरी लहर तक में स्वास्थ्यकर्मियों की चुनौतियां काफी बढ़ गई थी। खासकर नर्सिंग स्टाफ की। दफ्तर में तो इन्हें अपनी ड्यूटी करनी ही पड़ती साथ ही उन्हें क्षेत्र का भ्रमण भी करना पड़ता है। कोरोना काल में जब लोग घरों से नहीं निकलना चाहते हैं तो ऐसी परिस्थिति में क्षेत्र में जाकर अपनी सेवा देना किसी मिसाल से कम नहीं । जिले में कुछ ऐसे ही स्वास्थ्य कर्मी हैं जिनके स्वास्थ्य महकमा से लेकर आम लोग भी कायल हैं।
कोरोना काल में गर्भवती माताओं की सेवा कर जीएनएम माधुरी ने पेश की मिसाल:
कोरोना संकट के दौर में जीएनएम माधुरी कुमारी ने सेवा की अनूठी मिसाल कायम की। कोरोना खतरों की परवाह किए बगैर सदर अस्पताल में लॉकडाउन में करीब 3 महीनों तक पति और बच्चों से दूर रहकर प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं की सेवा में जुटी रही। सदर अस्पताल में लेबर रूम इंचार्ज के तौर पर कार्यरत माधुरी कोरोना काल जैसी कठिन परिस्थितियों में गर्भवती माताओं की जरूरी स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में अनवरत जुटी रही। लॉकडाउन अवधि में अधिकांश निजी अस्पतालों का संचालन ठप रहने से गर्भवती माताओं के प्रसव का सहारा बने सदर अस्पताल में पीपीई किट से लैस माधुरी खुद की चिंता किए बगैर गर्भवती माताओं की निरंतर सेवा करती रही । अमानत प्रशिक्षण प्राप्त माधुरी सदर अस्पताल आने वाले मरीजों को कोविड से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी भी देती रही। कोरोना सुरक्षा उपायों को अपनाते हुए अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाया। माधुरी ने बताया कि लॉकडॉउन में पति नवेंदु पांडे, पुत्री सौम्या व पुत्र शशांक दिल्ली में थे। लॉकडाउन के कारण करीब 3 माह तक पति और बच्चों से दूर रहते हुए गर्भवती माताओं को कोरोना के डर को कम करती रही। माधुरी ने बताया कि वैसे तो आम दिनों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती रही, मगर कोरोना काल में गर्भवती माताओं की सेवा के साथ उनके मन से संक्रमण का खौफ दूर करती रही। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच मुश्किल वक्त में लोगों की सेवा करने में काफी संतुष्टि मिली।
कोरोना संक्रमित की सेवा के साथ बढ़ाती रही हौसला :
नर्स नीलम बाडा संक्रमितों के उपचार के दौरान पॉजिटिव होने के बाद भी हार नहीं मानी । ठीक होने के बाद फिर सेवा में जुट गई। कोरोना की दूसरी लहर में भी वे अपने काम पर अनवरत लगी रही। ए ग्रेड जीएनएम नीलम मई 2020 से जिले के रामपट्टी स्थित कोविड केयर सेंटर में इंचार्ज के तौर पर सेवा देती थीं। सेंटर पर 16 एएनएम के साथ 450 से अधिक कोरोना संक्रमित का समुचित इलाज देखभाल, काउंसिलिंग करते हुए ठीक होने तक उनका हौसला बढ़ाती रही। इसी क्रम में अगस्त में कोरोना की चपेट में आ गई , जिसके बाद आइसोलाइट हो गई । कोरोना को हराकर फिर से लोगों की सेवा में जुट गई। मूल रूप से झारखंड के डाल्टनगंज निवासी 31 वर्षीय नीलम की पहली पोस्टिंग वर्ष 2013 में जिले के खुटौना प्रखंड में हुई थी। एक महीने बाद उन्हें सदर अस्पताल भेज दिया गया। यहां इमरजेंसी वार्ड पर लेबर रूम में अपनी सेवा देने के बाद 2020 में रामपट्टी कोविड केयर सेंटर पर इंचार्ज के रूप में कार्य करने लगी।
9500 से अधिक लोगों का किया कोविड टीकाकरण :
कोविड के दौरान कई नर्सों का विभिन्न स्तरों पर सराहनीय प्रयास रहा है। उसी में एक अलका कुमारी हैं जिन्होंने जिले में सबसे अधिक टीकाकरण करने का रिकॉर्ड स्थापित किया है। कोविड जैसी विषम परिस्थिति में उत्कृष्ट कार्य व सर्वाधिक टीकाकरण को ले पटना में पुरस्कृत भी किया गया। अलका ने 9500 से अधिक लोगों का टीकाकरण किया। वह न केवल टीकाकरण बल्कि टीकाकरण कराने वाले लोगों को समय पर दूसरे डोज लगाने की भी अपील करती रही। मूलत: समस्तीपुर जिले की रहने वाली अलका की पहली पोस्टिंग पंडौल प्रखंड के बथने व उसके बाद नवहत में हुई। उसके बाद विगत 3 वर्षों से सदर अस्पताल के लिए एमसीएच विंग में पदस्थापित हैं। जहां गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों का नियमित टीकाकरण करती हैं।