•अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 948 बच्चों का किया गया इलाज
•0 से 28 दिन के कम वजन वाले बच्चे होते हैं भर्ती
मधुबनी जिला सदर अस्पताल में स्थित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) नवजात से लेकर एक माह तक के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस वार्ड में जन्मजात बीमारियों व जन्म के बाद होने वाली बीमारियों का इलाज होता है। पिछले एक साल में इस वार्ड से साढ़े नौ सौ से ज्यादा बच्चों को लाभ मिला है। जिले में एसएनसीयू की स्थापना 2016 में हुई थी। वर्ष अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक लगभग 948 बच्चों का इलाज किया गया है। यह वार्ड एक माह तक के उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो समय से पहले पैदा हुये हैं, कम वजन के हों, और जिन बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा एक माह तक के बच्चों को जॉन्डिश या निमोनिया जैसी बीमारियां होने पर उनका बेहतर इलाज किया जाता है। यहां बच्चों के लिए चौबीस घंटे ऑक्सीजन की व्यवस्था उपलब्ध है। यही नहीं मौसम के अनुसार उनके लिए वातावरण ठंडा व गर्म रखने की भी व्यवस्था है। यहां रेडिएंट वार्मर (बच्चों को गर्म रखने के लिए), फोटो थैरेपी (पीलिया पीड़ित बच्चों के लिए), एक्यूवेटर (कम वजन वाले बच्चों के लिए), ऐसी व हीटर भी लगे हुए है। एसएनसीयू(स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) नया जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है। सिविल सर्जन डॉ० सुनील कुमार झा ने बताया यहाँ 90 प्रतिशत से भी ज्यादा नवजातों का सफल इलाज होता है। एसएनसीयू वार्ड में 0 से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है। एसएनसीयू सेवा का लाभ सिर्फ अस्पताल में जन्म लेनेवाले नवजातों को ही नहीं मिल रहा है, अपितु सभी सरकारी व निजी शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा नवजातों को यहां बेहतर सुविधा को लेकर रेफर किया जाता है। एसएनसीयू में 24 घंटे एक चिकित्सक के साथ कई एएनएम तैनात रहते हैं, जो नवजात के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाते हैं।
अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 948 बच्चों का किया गया इलाज :
सदर अस्पताल के एसएनसीयू में अप्रैल में 78 मई में 43 जून में 65 जुलाई में 97 अगस्त में 104 सितंबर में 127 अक्टूबर में 100 नवंबर में 74 दिसंबर में 54 जनवरी में 60 फरवरी में 66 मार्च में 80 कुल 948 बच्चे का इलाज किया गया.
ऐसे नवजात एसएनसीयू में होते हैं भर्ती:
• 1800 ग्राम या इससे कम वजन के नवजात
• गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पूर्व जन्में बच्चे
• जन्म के समय गंभीर रोग से पीड़ित नवजात(जौंडिस या कोई अन्य गंभीर रोग)
• जन्म के समय नवजात को गंभीर श्वसन समस्या(बर्थ एस्फ्यक्सिया)
• हाइपोथर्मिया
• नवजात में रक्तस्त्राव का होना
• जन्म से ही नवजात को कोई डिफेक्टस होना