• जन्म के बाद बच्चे को सांस लेने में थी परेशानी, चिकित्सकों ने बचाई जान
• अब तक हजारों बच्चों की बचाई गई है जान
मधुबनी जिला अस्पताल में स्थित शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) नवजात से लेकर एक माह तक के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसकी एक झलक गुरुवार को देखने को मिला, जब 13 जून को सदर अस्पताल में लहरियागंज निवासी शिवानी चौधरी को सिजेरियन प्रसव से एक बच्चे का जन्म हुआ। बच्चा ने जन्म से पूर्व अपनी मां के गर्भ में शौच कर दिया था, साथ ही बच्चे में धड़कन काफी कम थी। बच्चे जन्म के बाद सांस भी नहीं ले पा रहा था। ऐसी अवस्था में सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ० डी.के. झा ने बच्चे को बैग एंड मास्क वेल्टीनेशन (बाहर से सांस देने की पद्धति) के द्वारा बच्चे को सांस दी और बच्चे को ऑक्सीजन देते हुए एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों एवं कर्मियों की निगरानी में बच्चे को रखा गया। गुरुवार को बच्चे का ऑक्सीजन हटा दिया गया। बच्चा सामान्य तरीके से सांस ले पा रहा है, तथा अब खतरे से बाहर है। शिशु को नया जीवन मिलने से उसके माता-पिता और पूरा परिवार बहुत खुश है।
चार दिनों में ही बच्चे में हुआ सुधार :
एसएनसीयू में मौजूद चिकित्सक और विशेषज्ञों की देखरेख में महज चार दिनों के अंदर ही बच्चे में सुधार आ गया। चिकित्सकों की ओर से मां को केएमसी (कंगारू मदर केयर) प्रक्रिया के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई, जिससे वह घर पर भी आसानी से कर सके। साथ ही यह भी बताया गया कि छह माह तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान कराना है, पानी भी नहीं देना है।
सदर अस्पताल में 2016 में स्थापित हुआ था एसएनसीयू :
अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने बताया नवजात शिशुओं को एसएनसीयू के माध्यम से बचाया जा रहा है। यह प्रक्रिया मृत्यु दर को कम करने में कारगर साबित हो रहा है। जिला अस्पताल में एसएनसीयू की स्थापना 2016 में हुई थी। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक लगभग 948 बच्चों का इलाज किया गया है।
नि:शुल्क होता है इलाज:
मधुबनी जिला सिविल सर्जन डॉ० सुनील कुमार झा ने बताया कि यह वार्ड एक माह तक के उन नवजात शिशुओं के लिए बनाया गया है, जो समय से पहले पैदा हुए हो, कम वजन हो और शिशु को सांस लेने में समस्या होती हो। इसके अलावा, एक माह तक के शिशुओं को निमोनिया जैसी बीमारियां होने पर उनका नि:शुल्क एवं बेहतर इलाज किया जाता है। यहां शिशुओं के लिए 24 घंटे ऑक्सीजन की व्यवस्था उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इकाई में रेडिएंट वार्मर (बच्चों को गर्म रखने के लिए), फोटो थैरेपी (पीलिया पीड़ित बच्चों के लिए) एक्यूवेटर (कम वजन वाले बच्चों के लिए), एसी और हीटर भी लगे हुए हैं।