• नेपाल से भी पहुंचे कांवरिया व शिवभक्त
• हर-हर महादेव की नारे से मंदिर परिसर हुआ गुंजयमान
• कल्याणेश्वर मंदिर में भोलेनाथ की जलाभिषेक को ले लाईन में खड़े महिला श्रद्धालु
सावन माह की तीसरी सोमवारी को 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मधुबनी जिले के हरलाखी प्रखंड के पौराणिक कल्याणेश्वर मंदिर में भगवान शिव को जलाभिषेक किया। इससे पहले मंदिर के बगल के पवित्र तालाब में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस अवसर पर बोल बम व हर-हर महादेव के उद्घोष से मंदिर परिसर गुंजयमान हो रहे थे। भारत नेपाल के हज़ारों श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना की और सुख-समृद्धि का कामना की। मंदिरों में अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही और यह शिलशिला शाम तक चलती रही। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों ने गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल व पुष्प से भगवान शिव की पूजा की। मंदिर परिसर में जगह जगह भजन कीर्तन का कार्यक्रम चल रहा था। वहीं मंदिर के बाहर श्रावणी मेला में भारी भीड़ देखा गया। भगवान शिव का दर्शन व पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने श्रावणी मेला का आनंद उठाया। मेला में टॉवर झूला, ब्रेक डांस, मौत का कुआं आदि अनेकों प्रकार के मनोरंजन का साधन उपलब्ध है। वहीं मीणा बाजार व फल फूल के साथ साथ मिठाइयों की दुकानें भी सजी हुई है। उधर मंदिर व श्रावणी मेला में शांति व्यवस्था बनाए रखने को ले स्थानीय प्रशासन के द्वारा पुख्ता इंतजाम देखा गया।
थानाध्यक्ष अनोज कुमार के नेतृत्व में चप्पे चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गयी थी। वहीं बाबा कल्याणेश्वर श्रावणी मेला सेवा समिति के सदस्य शिव नारायण यादव, अनिरुद्ध यादव, राजाबाबू, विजय यादव, कारी ठाकुर, बबलू यादव, रामबालक यादव, मदन चन्द्र झा, बालेश्वर ठाकुर, मीडिया प्रभारी संजय राउत समेत करीब दो दर्जन स्वयंसेवक ड्यूटी पर तैनात थे। वहीं समाजसेवी राजा चौरसिया, पप्पू साह, पप्पू उर्फ धर्मेन्द्र साह के सौजन्य से बाबा कल्याणेश्वर मंदिर के बाहर सभी भक्तों के लिए लंगर का उत्तम व्यवस्था की गयी, जहां दूर दराज से आए सैकड़ों भक्तों ने भंडारे का लुफ्त उठाया।
इसी प्रकार प्रखंड के मनोकामना नाथ महादेव मंदिर, धरोहरनाथ महादेव मंदिर समेत विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक को लेकर अहले सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।
भगवान शिव को प्रिय है सावन मास:
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक श्रावण मास व शिव का भारतीय संस्कृति से गहरा मेल है। श्रावण के आते ही शिव भक्तों में पूजा अर्चना के लिए नई उमंग का संचार हो जाता है। शास्त्रों और पुराणों का कहना है कि श्रावण मास भोले बाबा को अत्यंत प्रिय है। इस माह में शिव अर्चना के लिए प्रमुख सामग्री बेलपत्र और धतूरा सहज सुलभ हो जाता है। शिव ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा-अर्चना की सामग्री के लिए किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती। अगर कोई सामग्री उपलब्ध न हो तो जल ही काफी है। भक्ति भाव के साथ जल अर्पित कीजिए और भगवान शिव प्रसन्न।
जल चढ़ाओ और जो चाहे मांग लो:
पूजारी हीरा ठाकुर ने बताया कि श्रावण मास में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। सोमवार भोले बाबा का प्रिय दिन माना जाता है, इसलिए श्रावण मास के सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने प्रत्येक सोमवार भगवान शिव का व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस महीने में लघुरुद्र, महारुद्र या अतिरुद्र पाठ को कर हर सोमवार शिव का व्रत करना चाहिए।
श्रावण के सोमवार व्रत की विधि
उन्होंने कहा कि श्रावण मास में सोमवार को शिव का व्रत करने के दौरान भगवान श्री गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती और नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, मोली और नये वस्त्र समेत जनेऊ, चंदन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल, गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा व दक्षिणा अर्पित किए जाते हैं।
शिव पूजन में बेलपत्र जरूरी:
कहा कि भगवान शिव की पूजा जब बेलपत्र से की जाती है, तो भगवान अपने भक्त की कामना बिना कहे पूरी कर देते है। बेलपत्र के संबंध में मान्यता प्रसिद्ध है कि बेल के पेड़ को जो भी भक्तगण पानी या गंगाजल से सींचता है, उसे सभी तीर्थों की प्राप्ति होती है। वह भक्त इस लोक में सुख भोगने के बाद शिवलोक में प्रस्थान करता है।