राजनगर,मधुबनी।
मधुबनी जिला के राजनगर प्रखंड अन्तर्गत गांव बकुआर निवासी प्रखर स्वतंत्रता सेनानी मखन झा को सदर अनुमंडल पदाधिकारी अश्वनी कुमार ने उनके घर जाकर वर्ष 2022 के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया है।आजदी के आंदोलन में मखन झा के योगदान को लेकर उन्हें यह सम्मान मिला है।
बताते चले की इस सम्मान के लिए उन्हें भारत सरकार द्बारा चयनित किया गया है। आपको बता दे की राजनगर प्रखंड के बकुआर गांव निवासी मखन झा का जन्म 1924 में हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चल रहे आजादी के आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। मखन झा के मुताबिक शहीद सूरज नारायण सिंह के नेतृत्व में 14 अगस्त 1942 को मधुबनी खादी भंडार में स्वतंत्रता सेनानियों को मीटिंग चल रही थी, जिसमे हमलोग मौजूद थे।मीटिंग में निर्णय हुआ कि मधुबनी थाना परिसर में आजादी का झंडा फहराया जाएगा। फिर हमलोग थाना परिसर को ओर निकल पड़े। आगे-आगे अकलू तुरहा एवं गणेश ठाकुर झंडा लेकर चल रहे थे। उसी समय अंग्रेज दरोगा रामबली सिंह को यह मालूम हुआ। उसने अंग्रेज सिपाही के साथ स्वतंत्रता सेनानियों पर लाठीचार्ज कर दिया। फिर भी सभी लोग चलते रहे, तब अंग्रेजों ने गोली चला दी। गोली लगने से अकलू तुरहा एवं गणेश ठाकुर की मौत हो गई। तब सभी लोग उग्र होकर पुल-पुलिया तोड़ने लगे, ताकि अंग्रेज की गाड़ी आवागमन नही कर सके। उसके बाद मखन झा एवं उसके कई साथी पर वारंट निकला। तब वे लोग भागकर नेपाल चले गए। वहां के सीतापुर में भटकते हुए कई दिन भूखा भी रहना पड़ा। बाद में खेतो में काम करके जीवन व्यतीत करने लगे। इधर घर व गांव के लोगों को पता भी नही था कि मखन झा जिंदा है कि नही। देश जब आजाद हुआ तब वे गांव लौट। वर्षों बाद परिवार के लोग उन्हें देखकर हैरत में पर गए। मखन झा के अनुसार देश व गांव का माहौल बदल गया था, क्योंकि अपना देश और अपनी आजादी थी।