मधुबनी।
बिहार मे जनता दल यूनाइटेड ने भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ नई सरकार का गठन कर लिया हैं। नई सरकार मे मंत्रिपरिषद का गठन भी हो चुका हैं। कई विधायक आवंटित विभागों का कार्यभार भी संभाल चुके हैं। महागठबंधन की सरकार मे भी मुख्यमंत्री नीतीश क़ुमार बने हैं। इस सबके बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री व कभी जदयू मे नंबर दो की हैसियत रखने वाले आरसीपी सिंह पर कई तरह की बातें कहीं जा रही हैं। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा हैं। जदयू नेताओं द्बारा उन्हें भाजपा का एजेंट बताया जा रहा हैं। पार्टी मे रहकर पार्टी को खोखला करने का उनपर आरोप लग रहा हैं। इसे लेकर जदयू किसान एवं सहकारिता प्रकोष्ठ के मधुबनी जिलाध्यक्ष विनोद क़ुमार सिंह खुब भड़के उन्होंने भी उन्हें भाजपा का एजेंट बताया। उन्होंने कहा की वे पार्टी मे रहकर पार्टी को खोखला करने का कुत्सित प्रयास कर रहे थे। सीएम नीतीश क़ुमार ने उन्हें पहचान लिया और पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाया। वे अब ना घर के हैं ना घाट के। सीएम नीतीश क़ुमार के कारण ही जदयू कार्यकर्ता उन्हें सम्मान देते थे। अब एक भी जदयू कार्यकर्ता उनके साथ नहीं हैं। विनोद सिंह कुशवाहा ने बताया की जनता दल यूनाइटेड पार्टी के सर्वमान्य नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने एक कर्मचारी आरसीपी सिंह पर भरोसा और विश्वास करके दो बार राजसभा भेजा। पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर संगठन की जिम्मेवारी दी। इसके साथ ही पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पार्टी का मालिक बना दिया, लेकिन मुख्यमंत्री का यह कर्मचारी खुद उनके ही पीठ में खंजर भोकता रहा और पार्टी को कमजोर करता रहा। जिसका उदाहरण है कि 2010 के विधानसभा चुनाव में जब श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह नौकरी कर रहे थे, तो पार्टी के 117 विधायक निर्वाचित हुए थे और 2010 के बाद ही पार्टी ने रामचंद्र प्रसाद सिंह को राज्यसभा भेजकर पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया। तब से पार्टी का विधानसभा में संख्या बल घटता गया। वर्ष 2015 में 71 विधायक और वर्ष 2020 में मात्र 43 विधायक की जीत कर आए। इस तरह रामचंद्र प्रसाद सिंह के नेतृत्व में संगठन लगातार कमजोर होता चला गया और यह मुख्यमंत्री के आंखों में धूल झोंक कर पार्टी के साथ विश्वासघात कर पार्टी को कमजोर करते रहे। जब मुख्यमंत्री की नजर में इनका भंडाफोड़ हो गया और इनको राज्यसभा एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर होना पड़ा। तब से ये जल बिन मछली की तरह तड़प रहे हैं। यह श्रीमान इतिहास के विद्यार्थी रहे हैं। जिस तरह भारत के इतिहास में जयचंद और मीर जाफर गद्दारी के स्थापित प्रतीक हैं, उसी तरह इन्होंने भी जदयू के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के साथ वैसा ही किया है। इतिहास गवाह है कि ऐसे भीतरघातियो को कहीं भी शरण नही मिली है।जदयू के कार्यकर्ताओं, समर्थकों एवं बिहार के आम-आवाम की नजर में यह भी जयचंद और मीर जाफर ही कहलाएंगे। सर्वसम्मति से ऐसे विश्वासघाती, भीतरघाती एवं एहसानफरोश रामचंद्र प्रसाद सिंह की भर्त्सना करता है तथा सार्वजनिक रूप से एलान करता है कि सौ-सौ जन्म लेकर भी रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह कभी भी नीतीश कुमार के नहीं हो सकते।