लदनियां, मधुबनी।
भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र लदनियां प्रखंड क्षेत्र में रसायनिक खाद के बनावटी किल्लत से किसान परेशान है। उर्वरक व्यवसायी रसायनिक खाद कालाबाजारी करने में मस्त हैं। प्रखंड क्षेत्र के तेनुआही, लदनियां, पिपराही, सिधपा, सिधपकला, खाजेडीह, डलोखर, पदमा के खाद व्यापारी उच्चे दाम पर बेच रहा है। प्रखंड के किसान खाद के लिए दर दर घूम रहे हैं, जबकि व्यापारी नेपाल तक खाद पहुंचाने वाले लोगों के हाथों 600 में बेच रहा है।
पद्मा चौक स्थित उर्वरक व्यवसायी सुनील कुमार साह के दुकान पर लोग गुरुवार की अहले सुबह से ही किसानों खाद के लिए कतारबद्ध होने लगे।
किसानों के भीड़ देखते हुए खाद व्यवसायी सुनील पैक्स भवन में अपना खाद का काउंटर लगाया, जहाँ भूखे प्यासे किसान कतारबद्ध होने लगे। चिलचिलाती धूप में कुव्यवस्था देख किसान अपना धैर्य खोने लगे। बाद में आपस मे मारपीट पर उतारू हो नए। कुव्यवस्था देख सैकड़ों किसान खाली हाथ लौट गए।
किसानों का आरोप था कि सरकार द्वारा यूरिया खाद की कीमत तकरीबन 266 रुपये प्रति बैग है, जबकि व्यवसायी मनमानी दर 350 रुपये से अधिक रुपये में प्रति बैग है। खाद कालाबाजारी में कृषि पदाधिकारी का भी संलिप्तता है।
किसानों का आरोप है कि जब प्रत्येक पंचायत में किसान सलाहकार कार्यरत है। खुलेआम खाद कालाबाजारी की जाती है। कृषि पदाधिकारी द्वारा मूक दर्शक बना रहता है।
किसानों का कहना है कि एक माह पूर्व डीएपी दो हजार रुपये प्रति बैग और यूरिया 6 सौ रुपये प्रति बैग खाद व्यवसायी खुलेआम बेच रहा था। आखिर प्रशासन शिकायत को क्यों नजरअंदाज किया?
जबकि सरकार किसानों को खेती से आय दुगुनी करने की बात करती है।
वहीं, पद्मा गांव से सटे लगडी गांव के पप्पू मुखिया सहित अन्य किसानों का शिकायत है हमलोग भारतीय है। बॉर्डर के समीप हमलोग बसे हैं। हमलोगों के साथ खाद एवं अन्य व्यवसायी भेदभाव करते हैं। सरकारी लाभ से भी वंचित रहना पड़ता हैं।
इस बाबत पूर्व पंचायत समिति सदस्य राम कुमार यादव ने बताया कि प्रत्येक पंचायत में किसान सलाहकार है। फिर भी खाद व्यापारी पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। आवश्यकता है उच्च स्तरीय जांच की, इसलिये मैं सरकार से इस जांच की मांग करता हूँ।